..क्या करूँ..
जो भी है मन में..हाँ जो भी है मन में कह दो..
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मेरी पंक्तियाँ
शुक्रवार, दिसंबर 02, 2016
कुछ भी कायम नहीं है, कुछ भी नहीं...
...और जो कायम है, बस एक मैं हूँ,
मैं जो पल पल बदलता रहता हूँ...
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