बुधवार, जनवरी 15, 2014

किताबें..



किताबों ने कितने न जाने अल्फाज़ छुपाये रखें हैं जहन में,

ठीक मेरी तरह,

और कितने खामोश हैं मेरी तरह.

3 टिप्‍पणियां:

मेरे ब्लॉग पर आ कर अपना बहुमूल्य समय देने का बहुत बहुत धन्यवाद ..