शुक्रवार, अप्रैल 06, 2012

तुम हो पास मेरे


















उफ़ ये रात का तूफान ,
किताबो से दबे सूखे पुराने पत्ते उडाकर ले गया ,
जाने आज रात और क्या-क्या निकाल बाहर करेगा |


7 टिप्‍पणियां:

  1. .बहुत सुन्दर भाव सजाये हैं...बधाई और आभार

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  2. दो-तीन दिनों तक नेट से बाहर रहा! एक मित्र के घर जाकर मेल चेक किये और एक-दो पुरानी रचनाओं को पोस्ट कर दिया। लेकिन मंगलवार को फिर देहरादून जाना है। इसलिए अभी सभी के यहाँ जाकर कमेंट करना सम्भव नहीं होगा। आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!

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  3. बहुत खूब कहा.....................

    कितना कुछ छिपा है इन चंद अल्फाजों में.....

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मेरे ब्लॉग पर आ कर अपना बहुमूल्य समय देने का बहुत बहुत धन्यवाद ..